लेखनी प्रतियोगिता -21-Feb-2022
कुछ तस्वीरें
कह देती हैं,
उनकी कहानी.
लेकिन वे समझती नहीं कि
क्या कहना है?
कब कहना है?
और तो और
किसे कहना है?
वे कह तो नहीं पातीं
अपने चित्रकार को
जिसने उन्हें बनाया.
ना ही वे कह पातीं
उस फ्रेम को
जिसमें वे जडी होती हैं.
वे कह पाती हैं
सिर्फ दर्शकों को.
उनको भी जो खोजते हैं,
उनमें,
सिर्फ मनोरंजन.
-०-
- डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी
Natash
22-Feb-2022 09:25 PM
👍👍👍
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